चाँद हैं सितारें हैं, ये सब हमारे हैं
फिर भी कुछ तो है, जिसे पाने कि ख़वाईश आई है
चाहे वो तन्हाई है पर कुछ तो है, जो फिजाओं में छाई है
जिंदगी में अब आई तन्हाई है
बहुत कुछ है उनसे कहने के लिए जिसे कहने उनके सामने जाते हैं
पर सामने हो कर भी कुछ न कह पाते हैं
वो जो हो कर भी ना होने का धोखा करते हैं
जो देख ले उन्हें उनकी यादों में खोते हैं
वो नदी है जो बलखाती हैं कहीं गिरती है कहीं संभल जाती है
क्यों वो दुर हो कर भी पास आई है
जिंदगी में अब आये तन्हाई है
नज़ारा हो खुबसूरत तो बड़ाई करते बनती है
पर उनका क्या जिसे देख मुहं से आवाज़ तक न निकलती है
क्यों सब पहले के जैसा हो कर भी बदला सा लगता है
क्यों कोई पराया हो कर भी अपना सा लगता है
कोई तो है जिससे मिलने की चाहत मुझे यहाँ खीच कर लाई है
जिंदगी में अब आई तन्हाई है
ढूंढा करते हैं हम पर वो मिलते नहीं
जाने क्यों अब कहीं खिलते नहीं
मिलने से डरते हैं हम फिर भी ढूंढा करते हैं हम
जिनकी एक नजर से हमारी जिंदगी गड़बड़ाई है
जिंदगी में अब आई तन्हाई है
मैंने देखा एक करिश्मा जो लगता अपना था
आया जब ख्याल ये अपना तो एक सपना था
इस सपने के संग कुछ पग मै चल भी आया था
जाने क्यों अब मुझे उसकी याद आई है
जिंदगी में अब आई तन्हाई है
जब फिज़ाओं में बदहाली आती है
आसमाँ गिरता है जमी ठहर जाती है
जिंदगी में अब आई तन्हाई है
चन्दन श्री