पतंग कितनी उलझी पहेली है

         देखो तो लगे स्वतंत्र पर धागे से जुडी है

लगता है हवा से ठिठोली केर रही है

         कभी इधर अभी उधर उड़ रही है

देखो बच्चे कितने खुश लग रहें हैं

         जैसे पतंग के संग वो भी उड़ रहें हैं

कभी आगे कभी पीछे दौड़ धुप कर रहें हैं

         देखो उस बच्चे की पतंग कट गई

जैसे दिल के अरमान पतंग के संग ही उड़ गए

         जिन्होंने काटी है पतंग देखो कितने खुश लग रहीं है

अपने जीत पर कितने इतर रहें हैं

         अब उनकी भी शामत आई है

एक पतंग अब उनसे टकराई है

         एक ही छन में उनकी हसीं उनके पतंग के साथ उड़ आई  है

यही तो रित है जो पतंग के साथ हमेशा से चली आये है

        बच्चो के मन को है ललचाती जेब कटती तो दिल को दुखती

बच्चो को देखो कभी हार हैं नहीं मानते

       कितनी ही कटती फिर भी उड़ाते 

हमें भी इनसे कुछ सीखना होगा

       अगर देश को आगे बढ़ाना है तो गिर गिर कर उठना होगा

                                                                चन्दन श्री